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अनुशासन का महत्व। anushasan ka mahatva ।anushasan ka mahatva nibandh।anushasan ka mahatva essay।

 अनुशासन का महत्व। anushasan ka mahatva ।anushasan ka mahatva nibandh।anushasan ka mahatva essay in hindi।

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अक्सर हमें स्कूल, क्लासेज, ओर किसी भी बड़े स्थान पर कहा जाता है कि हमें अनुशासन में रहना चाहिए। अगर आप स्कूल के विद्यार्थी है तो लगभग रोज ही 'अनुशासन' शब्द को सुनते होंगे। आज हम इसी बारे में बात करेंगे कि आखिर अनुशासन को हमारे जीवन में महत्व क्या है।

Anushasan ka mahatva essay in hindi

भूमिका

कहा जाता है कि जिस वृक्ष की जड़ मजबूत होती है, तो वो वृक्ष भी पूरा फैलावदार ओर घना होता है, तथा लंबे समय तक खड़ा रहता है। उसी तरह किसी भी राष्ट्र का व्यक्ति अगर अनुशासित होगा तो वो राष्ट्र भी अनुशासन में रहता है। साथ ही देश भी सुरक्षित रहता है और देश का भविष्य भी।

अनुशासन का शाब्दिक अर्थ

अनुशासन शब्द का अर्थ है किसी भी शासन के पीछे पीछे चलना । हमारे जीवन के है क्षेत्र में अनुशासन अनिवार्य है। हम हमारे घर में देखते है कि हम कोई भी समान कितने अच्छे से रखते है,वो भी हमारा अनुशासन ही है।। इसका पालन करने से हमारा आलस, हमारा किसी भी कार्य को टालना बड़ी दूर भाग जाता है। हम अपने कर्तव्यों का पालन अच्छे से करने लगते है। जो भी व्यक्ति इसका पालन करता है,उस में सच्चाई ओर ईमानदारी जैसे गुण अपने आप ही आ जाते हैं।।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व निबंध

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विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का होना बहुत जरूरी है। विद्यार्थी एक कली होती है। जो भी उसे सिखाया जाएगा आगे चलकर वो वैसे ही बनते है। इसीलिए बचपन से ही बच्चो को अनुशासन की शिक्षा देनी चाहिए। विद्यार्थी को अपने गुरुओं का हमेशा आदर करना चाहिए। इस में सबसे अधिक महत्व माता पिता का होता है। क्योंकि माता पिता जी किसी भी विद्यार्थी के पहले शिक्षक होते हैं। वहीं घर एक बच्चे का पहला स्कूल होता है।


आज के समय में अनुशासन 

आज देखे तो हमारे देश मे इसका बहुत ज्यादा अभाव है। अक्सर हम देखते है की आजकल के बच्चे माता पिता का कहना नहीं मानते है। उनके सामने बोलते है। अपने अध्यापकों का मजाक उड़ाते है। अक्सर कॉलेज, विश्व विद्यआलयों में देखा जाता है कि बच्चो ओर अध्यापकों मे 

झड़प होती रहती है। बच्चे पेपरों मे अक्सर नकल करते है। शिक्षको को डराते है,। अनेक विद्यार्थी लड़ाई झगडे करते है।इससे हमारे आस पास ही सुख शांति मे बाधा होती है।

देखा जाए तो आज के समय में अनुशासन का बहुत ज्यादा अभाव आ चुका है। अगर बच्चे, बड़े अनुशासित होंगे यो निश्चय ही ऐसी परेशानियां नहीं आएगी।


अनुशासनहीनता के कारण

अगर कहा जाए कि आजकल की राजनीति और आजकल के संस्थान भी देश ओर विद्यार्थियों को अनुशासन हिन बना रहे है। देश में नेताओ के द्वारा भड़काऊ भाषण दिए जा रहे है तो कहीं स्कूलों, विश्वविद्यालयों में छात्र छात्राओं को भीड़ लगी रहती है। पढ़ाने वाले कम है। यदि इन हालातों को सुधार दिया जाए तो निश्चय से धीरे धीरे अनुशासन वापसी कर पाएगा।


नैतिक शिक्षा की आवश्यकता

छात्रों में अनुशासन की भावना को स्थापित करने के लिए यह जरूरी है कि बच्चो को नैतिक शिक्षा ओर कुछ चारित्रिक शिक्षा के लिए कुछ ओर स्थान हो। इससे विद्यार्थियों को अपने अपने कर्तव्यों का भी ज्ञान होगा। दूसरी ओर शारीरिक विकास की ओर भी ध्यान देना चाहिए। इससे अनुशासन मे बढ़ोतरी होगी।


उपसंहार,

सभी शिक्षण संस्थानों को चाहिए कि वो अपने पाठ्यक्रम में नैतिकता सबंधी सामग्री को बढ़ाना चाहिए। सबसे ज्यादा अच्छा ये होगा कि कोई भी राजनीतिक दल किसी भी शिक्षण संस्थान में हस्तक क्षेप ना करे। सरकार को भी ये बात जान लेनी चाहिए की छात्रों मे अनुशासन बनाए बगैर देश मजबूत नहीं हो सकता है।

 

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