हरियाणवी भाषा की प्रमुख बोलियाँ । हरियाणवी भाषा में बोलियां कितनी है।
अगर आप हरियाणा से है, तो आप को हरियाणवी भाषा के परिचय की शायद ही जरूरत महसूस हो।
सम्पूर्ण हरियाणा में ही हरियाणवी भाषा बोली जाती है । लेकिन हरियाणवी भाषा में इसकी कुछ प्रमुख बोलियां भी है। जिस प्रकार से हिन्दी के बोलने का ढंग अलग अलग होता है उसी प्रकार हरियाणवी भी अलग अलग बदलाव के साथ बोली जाती है जिसे हम हरियाणवी बोलियाँ कह सकते है ।
हरियाणवी भाषा का उद्भव शौरसेनी अपभ्रंश के पश्चिमी रूप में हुआ है । हरियाणवी भाषा के अगर हम क्षेत्र को देखे तो संपूर्ण हरियाणा, राजस्थान का कुछ भाग और दिल्ली के देहाती भाग में मुख्यत हरियाणवी बोली बोली जाती है। हरियाणवी भाषा निम्नलिखित बोलियों के रूप में बोली जाती हैं -
1. बागड़ी बोली -
हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों में बोली जाने वाली बोलियों में बागड़ी बोली का महत्वपूर्ण स्थान है । यह हरियाणा के बहुत बड़े क्षेत्र मे बोली जाती है। बागड़ क्षेत्र में इसका प्रचार अधिक होने के कारण इसको बागड़ी बोली भी कहते है। बागड़ शब्द मुख्यतः ऊँची भूमि के लिए प्रयोग किया जाता है, जहां बाढ़ ना आए।
हरियाणा में बागड़ी बोली का क्षेत्र
बागड़ी बोली हरियाणा में मुख्यत भिवानी जिले के बहल में,हिसार के आसपास ,सिवानी, चौटाला,ऐलनाबाद, तथा सिरसा के आस पास के क्षेत्रों में मुख्य रूप से बोली जाती है।
बागड़ी बोली में लगभग ऋ स्वर का अभाव होता है। ऋ को यहां री बोला जाता है।इसके अलावा व को ब बोल दिया जाता है। बागड़ी बोली में आकारांत शब्द ओकारांत हो जाते है।।
2. बांगरू बोली
बांगरू बोली भी हरियाणा की एक महत्वपूर्ण बोली है।कुछ विद्वान बांगरू को हरियाणवी भाषा का पर्याय मानते है। किन्तु आधूनिक शोधों के आधार पर पता चलता है कि बांगर हरियाणा के एक प्रमुख स्थान का नाम है,इस क्षेत्र में बोली जाने वाली हरियाणवी बोली का नाम बांगरू है। यह बोली एक क्षेत्र विशेष से है, इसलिए इसे हम हरियाणवी भाषा का पर्याय नही मान सकते है।
हरियाणा में बांगरु बोली का क्षेत्र
बांगरू बोली का प्रमुख क्षेत्र बांगर क्षेत्र है। इसके अलावा बांगरू बोली हिसार, पानीपत,सोनीपत, कैथल,करनाल, रोहतक, जींद, भिवानी आदि जिलों में बोली जाती है।।
3. कौरवी बोली
कौरवी बोली भी हरियाणा की प्रमुख बोलियो में अपना स्थान रखती है। मेरठ जिले की तहसील बागपत को तो टकसाली कौरवि का क्षेत्र माना जाता है। यह क्षेत्र कौरवी बोली का क्षेत्र माना जाता है। कौरवी बोली उत्तर में खडी बोली से, दक्षिण में बांगरू बोली से और पश्चिम में पंजाबी से घिरी हुई है।।
हरियाणा में कौरवी बोली क्षेत्र
कौरवी बोली संपूर्ण अंबाला और मेरठ कमीशनरियो
की भाषा है। सहारनपुर, मुज्जफर नगर, अंबाला मुरादाबाद , दिल्ली के कुछ भाग, रोहतक ,हिसार, करनाल आदि जिलों में बोली जाती है।।
4. अहीरवाटी बोली
अहिरवाटी बोली मुख्य रुप से हरियाणा के अहिरवाल क्षेत्र में बोली जाती है। इस बोली का प्रसार मुख्य रुप से हरियाणा राजस्थान और दिल्ली में है। हरियाणा में मुख्यत रेवाड़ी, नारनौल, महेंद्रगढ़, पटौदी, तथा झज्जर जिले में अहिरवाटी बोली का चलन है। इसके अलावा भिवानी व गुरुग्राम के देहाती इलाकों में भी यह बोली बोली जाती है। दिल्ली ,नजफगढ़ के आसपास के अहीर जाति के लोग भी अहीरवाटी बोलते है। राजस्थान में यह किशनगढ़, बानसू, मुंडावर, आदि स्थानों पर बोली जाती है।
5. मेवाती बोली
मेवात क्षेत्र में बोली जाने के कारण यह बोली मेवाती कहलाती है। मेवात हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान का मिश्रित भाग है, जहां मेव जाति लिया रहते है। मेव जाति के लोगो द्वारा ही मुख्यत मेवाती बोली जाती है।।
मेवाती बोली का क्षेत्र
हरियाणा में मेवाती बोली प्राय मेवात, सोहना, बावल,नीम, उजोना, तावडू, हथीन आदि स्थानों पर बोली जाती है। मेवात एक मिश्रित क्षेत्र है,,इसीलिए इसके आस पास अलग अलग बोलिया बोली जाति है,इस कारण हमें मेवाती का अलग अलग बोलियों से मिश्रित रुप भी देखने को मिलता है।।
6. ब्रज बोली
ब्रज बोली का नाम सुनते ही सबसे पहले बृज और वृंदावन का नाम हमारे दिमाग में आता है। परन्तु ब्रज बोली हरियाणा में भी एक विस्तृत भाग में बोली जाती है। उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में,हरियाणा में बल्लभगढ़ , पलवल, हसनपुर क्षेत्र में यह बोली मुख्य बोली जाती है।ब्रज बोली में (ड) 'ल' 'र' में परिवर्तित हो जाता है। ब्रज बोली में आकारांत शब्द ओकारांत हो जाते है।।।
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