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पवन दूती कविता का सार। Pawan dooti kavita Ayodhya singh Upadhyay hriodh। पवन दूती कविता आसान शब्दो में।

 पवन दूती कविता का सार। Pawan dooti kavita Ayodhya singh Upadhyay hriodh। पवन दूती कविता आसान शब्दो में।

पवनदूती कविता श्री अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा रचित खड़ी बोली हिंदी के प्रथम महाकाव्य 'प्रियप्रवास'  का एक छोटा सा हिस्सा है। जिसमें भगवान श्री कृष्ण के दूर जाने के दुख में व्याकुल राधा पवन को अपना दूत बनाकर उसके द्वारा अपना प्रेम संदेश श्री कृष्ण के पास भेजती है। यह कविता छठे सर्ग से को गई है।

इस कविता में राधा श्री कृष्ण के बारे में बताते हुए कहती है कि श्री कृष्ण ने कंस के बुलावे पर मथुरा चले गए थे । मथुरा में जाकर उन्होंने कंस कंस का वध भी कर दिया था। परंतु वे पुनः लौट कर वृंदावन में नहीं आए थे।

पवन दूती कविता का सार। Pawan dooti kavita Ayodhya singh Upadhyay hriodh। पवन दूती कविता आसान शब्दो में।

Pawandooti kavita ka saar

वृंदावन में उन्हीं के विरह में राधा बड़ी व्यथित है। राधा अपने घर में अकेली अपनी विरह की वेदना को काट रही है। वह जब अपने घर में अकेली बैठी होती है तभी एक शीतल हवा का झोंका फूलों को सुगंध लेके उसके पास आता है। वैसे तो शांत ओर शीतलता से भरी हवा किसे अच्छी नहीं लगती । लेकिन विरह की आग में जलती हुई राधा को इस हवा की ये महक ओर शीतलता अच्छी नहीं लगती है।

Shree Krishna Radha love poem

राधा उससे कहती है कि वो क्यों उस जलाने आयि है, क्यों वह उसकी आग को बढ़ा रही है। राधा हवा से कहती है कि वह उसे सताना छोड़ दे। वहीं  वह उससे विनती भी करती है कि वो उसका प्यार का संदेशा श्री कृष्ण के पास मथुरा में पहुंचा दे। राधा कहती है कि तू श्री कृष्ण को मेरा दुख नहीं सुना सकती तो कम से कम उन्हें मेरी स्थिति के बारे में ही बता दे। या फिर तू उनकी कोई प्यारी सी वस्तु लाके दे,जिसे मैं प्रेम की याद के रूप में रख सकूं।

इसके बाद राधा जी हवा को समझाते हुए कहती है कि तू बड़ी तेज है, लेकिन तू अपनी चाल में हमेशा शालीनता रखना। तुझे रास्ते में अनेक अच्छे अच्छे बाग़ दिखाई देंगे लेकिन तू उनके चक्कर में मत पड़ जाना। अगर तुझे कोई थका हुआ,या दुखी व्यक्ति दिखे तो, तू अपने अंदर की सुगन्ध से उनके शरीर में सभी कष्टों को दूर करना। अगर कोई लज्जाशील युवती दिखे तो तू उसके कपड़ों को अस्त व्यस्त ना करना।

जब तू यमुना के किनारे से निकले तो यमुना के पानी को जरूर स्पर्श करना। श्री कृष्ण यमुना के पानी का अहसास पा खुश हो जाएंगे। हवा को कहते हुए वो दोबारा लिखती कहती है कि तू जब भी श्री कृष्ण से मिले तो धूल रहित होकर जाना। तू मथुरा के किसी तालाब में अपनी जलन को दूर कर लेना। जब तू श्री कृष्ण के पास पहुंचे तो सबसे पहले उनके पैरों को छूकर अपने आप को पवित्र कर लेना।

राधा हवा को समझाती हुई कहती है कि श्री कृष्ण के आस पास त तुझे अगर किसी पीड़िता सी स्त्री या किसी उपवन में अनेकों लोगो कि कोई तस्वीर दिखे तो तू उसे जोर जोर से हिलाना। उसे देखकर शायद श्री कृष्ण को मेरा ओर वृंदावन वालों को ख्याल आ जाए। अगर तुझे वहां पर कोई बांसुरी दिखाई दे तो तू उसे ऐसे बजाना जैसे श्री कृष्ण को लगे कि वो बृज मै है। शायद उन्हें हमारी याद आ जाए।

राधा श्री कृष्ण प्यार की कविता

बाद में वे कहती है की तू श्री कृष्ण के चरणों कि धूल को मेरे पास ले आना ।इससे मेरी समस्त वेदना दूर हो जाएगी। तू उनका कोमल स्वर, उनके शरीर कि महक को भी अपने अंदर समाहित करना, ताकि तुम्हारे जरिए मै उन्हें महसूस कर सकूं।

इस तरह राधा पवन के द्वारा अपना श्री कृष्ण तक अपना सन्देश पहुंचाने की कोशिश करती है। वह पवन को चतुराई से कार्य करने ओर श्री कृष्ण के पास तक जाने के तरीके बताती है।।

पवन दूती कविता का सन्देश

हमें इस कविता द्वारा कई सारे सन्देश भी देखने को मिलते है जिससे पता चलता है कि हमें अपने जीवन में इन्हे अपनाना भी चाहिए।
1. सबसे पहले तो हम देखते है कि इसमें राधा ओर श्री कृष्ण के प्रेम के बारे में बताया गया है। राधा श्री कृष्ण को इतना ज्यादा प्रेम करती है कि वो हवा तक  को अपना सन्देश वाहक बना लेती है। इससे हमें प्रेम भावना , नैतिकता ,ओर वफादारी का भी पता चलता है, वरना आज के समय में ये लुप्त होते जा रहे है।

2. इससे हम देखते है की हमें मानव के प्रति प्रेम भाव रखना चाईए। क्योंकि राधा पवन को समझाती है कि जब भी तुझे कोई दुखी या थका हुआ व्यक्ति दिखे तो तू मेरा काम छोड़ पहले उनके दुख दूर करना।

3. उपाध्याय जी ने अपने पवनदूती कविता के द्वारा मीठी वाणी की ओर भी ध्यान दिया है । राधा हवा को कहती है कि तू उनकी वाणी की मिठास को अपने अंदर समाहित करना, इससे पता चलता है कि वाणी की मधुरता कितनी महत्व पूर्ण है।

इस प्रकार हम कह सकते है कि पवन दूती कविता केवल एक कविता ही नहीं है। इससे हमें प्रेम भावना, दूसरे के प्रति आदरभाव, मीठी वाणी बोलने का संदेश भी मिलता है।


Topic cover in this blog

पवन दूती कविता का सार class 6th ,7th, 8th
पवन दूती कविता का सार class 9th, 10th
पवन दूती कविता का सार class 11th, 12th
पवन दूती कविता का सार class BA ,MA

। Pawan dooti kavita Ayodhya singh Upadhyay hriodh।

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