राष्ट्र भाषा हिंदी। राज्य भाषा हिंदी निबंध। Rastr bhasha hindi nibandh। Nibandh on rastra bhasha hindi।
देश चाहे कोई भी हो , चाहे उसमे कितने हिं धर्मो के लोग क्यों ना रहते हो। उस देश की एक भाषा होना जरूरी होता है। राष्ट्र की एकता को मजबूत करने के लिए एक दृढ़ भाषा का होना जरूरी होता है। ऐसी व्यापक भाषा ही राष्ट्र भाषा कहलाती है, जो कि राष्ट्र के महत्वपूर्ण कार्यों में प्रयोग की जाए। भारत में अनेक तरह कि भाषाएं बोली जाती है, लेकिन एक मुख्य संपर्क भाषा के बिना राष्ट्र का काम नहीं चल सकता है।
भारत में अंग्रेजी हिन्दी के बीच की लड़ाई
भारत को सन 1947 में आजादी को प्राप्ति हुई थी। उस्ट समय भारत में अंग्रेजी शासन का बोलबाला था। जिस कारण उस समय के लगभग सभी कार्य अंग्रेजी भाषा में होते थे। किन्तु अंगेरजो के जाने के बाद अंग्रेजी मै कार्य करना मुश्किल था। देश का सविंधन बनाए जाने के समय भी ये प्रश्न आया था कि राष्ट्र की भाषा कोन सी होंगी। कुछ लोग उस समय भी अंग्रेजी को राष्ट्र भाषा बनाने के पक्ष में थे,लेकिन उस समय अंग्रेजी को राष्ट्र भाषा नहीं बनाया गया क्योंकि भारत के अधिकतर लोग उस समय अंग्रेजी नहीं बोल पाते थे।
हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाया गया।
हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने के पीछे सबसे बड़ा कारण ये था कि हिंदी एक भारतीय भाषा थी। दूसरा यहां पर हिंदी बोलने वालों को संख्या बहुत ज्यादा थी। तीसरा कारण ये था कि हिंदी बिल्कुल ही आसान भाषा थीम देश के प्रत्येक भाग में हिंदी को अच्छे से समझा जा सकता था। चौथी बात यह है कि हिंदी भाषा ने भारतीय भाषाओं की तुलना में सरल है । इसमें शब्दों का प्रयोग बिल्कुल आसान है। यह भाषा दो से तीन महीनों में सीखी जा सकती है।इन सभी विशेषताओं के कारण भारतीय संविधान सभा ने निश्चय किया कि हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा तथा देवनागरी लिपि को राष्ट्रीय लिपि बनाया जाए।
हिंदी के विकास के लिए किए गए कार्य।
हिंदी को राजभाषा घोषित करने के बाद एकदम से इसका प्रयोग करना मुश्किल था। आता है 1965 तक केंद्रीय शासन के जितने भी कार्य थे हुए व्यवहारिक रूप से अंग्रेजी में चलते रहे।एसबी सरकारी कर्मचारियों को हिंदी पढ़ने की विशेष सुविधाएं दी गई शिक्षा मंत्रालय की ओर से हिंदी के लिए अनेक सुविधाएं प्रदान की गई ताकि हिंदी अंग्रेजी का स्थान पूर्ण रूप से ग्रहण कर ले। कई भाषा विशेषज्ञों को के अनुसार भारतीय भाषाओं की लिपि देवनागरी को अगर स्वीकार कर लिया जाए तो राष्ट्रीय भावात्मक एकता स्थापित करने की सुविधा होगी।
हिंदी भाषा का विरोध
अजय एक तरफ जहां सरकार और आम लोग हिंदी को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं वही ऐसे लोग भी है को इसे आगे नहीं ले जाना चाहते। इन में कुछ लोग ऐसे भी है जो हिंदी को संविधान के अनुसार सरकारी भाषा बनाने में तो सहमत है परंतु उसे राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।कुछ लोग उर्दू भाषा को पूर्ण बहुमत देकर सरकारी कार्यों में विघ्न डालते रहते हैं। धीरे-धीरे बंगाल पंजाब चेन्नई ने भी अपनी एक अलग प्रांतीय भाषाओं की मांग की।प्रेम तो हिंदी ही एकमात्र ऐसी भाषा है जिसमें संपूर्ण भारत को एक सूत्र में पिरोया हुआ है।
हिंदी को मजबूत बनाने के लिए क्या करना चाहिए
हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसमें राज्य भाषा बनने की पूर्ण क्षमता है। हिंदी भाषा का साहित्य अत्यंत विशाल है।आज के जमाने में सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि हिंदी को मजबूत कैसे किया जाए। सर्वप्रथम तो हिंदी भाषा को रोजगार से जोड़ा जाए।हिंदी सीखने वाले को सरकारी नौकरी में प्राथमिकता दी जाए । सरकारी कार्यालयों तथा न्यायालयों में केवल हिंदी का प्रयोग हो।ऐसे राज्य जहां पर हिंदी नहीं बोली जाती वहां पर इन हिंदी का अधिक प्रचार होना चाहिए। वहां हिंदी की पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन होना चाहिए।
उपसंहार
आज हिंदी के प्रचार प्रसार में कुछ बाधाएं अवश्य है किंतु आज सरकार तथा सभी आम जनता इस में एकजुट होकर प्रयास कर रही है।भारत के उत्तर में अधिकांश राज्यों में लगभग सभी सरकारी कार्यों को हिंदी भाषा में किया जा रहा है राष्ट्रीय कृत बैंकों में भी हिंदी का आरंभ कर दिया गया है।हिंदी साहित्य तथा हिंदी लेखकों को आगे लाया जा रहा है। दूरदर्शन और आकाशवाणी द्वारा भी इसमें अनेक कदम उठाए जा रहे हैं।
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