अज्ञेय जीवन परिचय।सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन (अज्ञेय) साहित्यिक विशेषताएं, भाषा शैली, रचनाएं।।
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन, हो सकता है कि आपने इनका नाम पहले कहीं सुना हो और शायद ना सुना हो, क्योंकि आधुनिक हिंदी के साहित्यकारों में शायद ही कोई इस नाम को लेता होगा क्योंकि 'अज्ञेय' एक ऐसा नाम है, और एक ऐसा शब्द है जिसने ,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन, को कहीं छिपा सा दिया है। आज हम बात करने वाले हैं इसी साहित्यकार की जिनका नाम है ' अज्ञेय'।
*जीवन परिचय*
अज्ञेय जी को आधुनिक हिंदी साहित्य का प्रमुख साहित्यकार माना जाता है। अज्ञेय जी का पूरा नाम 'सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन' था। अज्ञेय उनका उपनाम था। अज्ञेय का जन्म 7 मार्च 1911 को कसया (जिला देवरिया) में हुआ। इनका बचपन लखनऊ , श्रीनगर ओर जम्मू में बीता। इनके पिता जी का नाम हीरानंद शास्त्री था, जो की भारतीय पुरातत्व विभाग में उच्च पद पर अधिकारी थे। वे संस्कृत के विद्वान थे। वे कठोर अनुशासन के पक्ष में थे, परन्तु उन्होने अज्ञेय के लिए प्रतिभा के स्वतंत्र विस्तार में कभी बाधा नही डाली।
अज्ञेय ने 1929 में लाहौर के फॉरमैन कॉलेज से b.sc की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। सन् 1930 में उन्होने M.A अंग्रेजी का अध्ययन प्रारंभ किया, किंतु क्रांतिकारी दलों में सक्रिय भागिता के कारण उन्हें बंदी बना लिया गया और उन्हें 4 साल तक कारावास में रखा गया।जेल से वापस आने। के बस उन्होंने ’सैनिक’ ओर ‘विशाल भारत' पत्रिका का संपादन किया। सन् 1943 में अज्ञेय जी कैप्टन के पद पर नियुक्त होकर कोहिमा फ्रंट पर चले गए। वहां से वे 3 वर्ष के बाद लौटे। सन् 1950-55 के बीच उन्होने आकाशवाणी में भी काम किया। 1955-60 के बीच उन्होने विभिन्न देशों की यात्राएं भी की। सन् 1961 में वे कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में भारतीय संस्कृति और साहित्य के अध्यापक नियुक्त हुए। उन्हे अपने जीवन में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ और ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ भी मिले। 4 अप्रैल 1987 को अज्ञेय जी का देहांत हो गया।
*रचनाएं*
अज्ञेय जी एक प्रतिभाशाली तथा विविध विधाओं पर अपनी पकड़ रखने वाले साहित्यकार थे। उन्होंने लगभग सभी विधाओं में अपनी रचनाएं लिखी। उनकी कुछ रचनाए निम्न है,,,
नाटक – उत्तर प्रियदर्शी
काव्य संग्रह– आंगन के पार द्वार, सागर मुद्रा, चिंता, मरुस्थल, बावरा अहेरी आदि।
कहानी संग्रह– कोठरी की बात, अमर वल्लरी, परंपरा आदि।
उपन्यास– अपने अपने अजनबी,नदी के द्वीप आदि
अन्य रचनाएं– त्रिशंकु, आलवाल, सबरंग, एक बूंद सहसा उछली आदि ।
*साहित्यिक/काव्यगत विशेषताएं*
अज्ञेय एक प्रयोगवादी कवि थे। उनके साहित्य का उनके काव्य का भाव पक्ष और कला पक्ष समान रूप से समृद्ध है। उनके शुरुआती साहित्य में छायावाद और रहस्यवाद का एक मिश्रित पुट मिलता है। अज्ञेय जी ने अपने साहित्य में राष्ट्रीय चेतना को भी प्रकट किया है। उन्होंने अपने काव्य में तीखे व्यंग्य भी शामिल किए हैं। उनके काव्य में अनुभूति की गहनता सागर की गहनता के समान देखी जा सकती है।
बात की जाए अगर उनके काव्य साहित्यिक विशेषताओं की तो उनके काव्य साहित्य में हमें अनेक विशेषताएं देखने को मिलती हैं। अज्ञेय जी को हम एक व्यक्तिनिष्ठ कवि के रूप में देख सकते हैं, जहां वे एक तरफ एक व्यक्ति हैं जो समाज की विविध चुनौतियों से उलझे दिखाई देते है। अज्ञेय जी जीवन को पूर्णता से जीने का आग्रह करने वाले व्यक्ती थे। उनका मानना था कि जीवन को सार्थक रूप से जीना ही जीवन है। वे एक सैनिक कवि थे जो क्षण भर को भी महत्वपूर्ण समझते थे।
अज्ञेय जी की रचनाओं में हमे क्रांति कि भावना भी दिखने को मिलती है, क्योंकि वे एक संघर्ष वादी कवि थे, तथा संघर्ष करना वे अनिवार्य समझते थे।
*भाषा शैली*
अज्ञेय जी का काव्य विविध भाषा शैलियों से परिपूर्ण है। उन्होने भाषा और शैली को लेकर अनेक प्रयोग किए। उन्होने तत्सम और तद्भव ओर अन्य भाषाओं के शब्दो का भी सुंदर एवम् सार्थक प्रयोग किया है। उन्होने नवीन प्राचीन और मिश्रित छंदों का प्रयोग भी किया है।।।
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