आधुनिक हिन्दी साहित्य की सामाजिक परिस्थितियां। Aadhunik hindi sahitya ki samajik paristhitiya।
लगभग सन् 1857 के बाद के काल को हिन्दी साहित्य में आधुनिककालीन हिन्दी साहित्य कहा जाता है। आधुनिक काल हिन्दी साहित्य में रितिकाल के बाद आता है। इस लेख में हम बात करने वाले है आधुनिक काल की सामाजिक परिस्थितियों के बारे में।
जिस तरह से किसी भी चीज में बदलाव करने पर उसके व्यवहार, विचार, परिणाम में बदलाव आता है, उसी प्रकार आधुनिक कालीन हिन्दी साहित्य में भी बदलाव आया। भारत में हमेशा से ही धार्मिक रूढ़ियों , सामाजिक रूढ़ियों, कुरीतियों का चलन रहा है। लोग हमेशा से ही आपस में लड़ते रहे है, चाहे वो जात को लेकर हो या समाज को लेकर या वो धर्म हो।
आधुनिक हिन्दी साहित्य काल में समाज में बदलाव/ सामाजिक जीवन में चेतना।।
भारत के सामाजिक जीवन में नई चेतना का कारण प्रमुख भारत का पश्चिमी सभ्यता के साथ मिलना था। अंग्रेज भारत में आएं तो अपनी संस्कृति को भी वे भारत में लेके आए।
इससे पहले भारत में सती-प्रथा, नर-बलि, बाल विवाह, विधवा विवाह निषेध, धार्मिक कर्मकांड जैसी विभिन्न कुरीतिया थी। वही इंग्लैंड से आए हुए ईसाई धर्म के पादरियों ने यहां के लोगो को धर्म परिवर्तन करने के लिए कहा, उन्हे मजबूर किया। किन्तु इन सब के चलते भारतीय आर्यसमाज, ब्रह्मसमाज आदि जो उस समय अपने जोर पर आ गए थे, उन्होने समाज सुधार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने हिंदू धर्म को सुधारने का प्रयास किया। उन्होने हिंदू धर्म में विद्यमान कट्टरता को कम करने का प्रयास किया।
राजा राम मोहन राय की भूमिका
उस समय के समाज सुधारकों में राजा राम मोहन राय का नाम सबसे उल्लेखनीय होता है। वे स्वतंत्रता को अपना अधिकार मानते थे, उसकी उपासना करते थे। उन्होने बाल विवाह के विरुद्ध विद्रोह किया। लोगों को स्त्री शिक्षा , विधवा विवाह के बारे में जागरूक करने का कार्य किया। उन्होने ब्रह्म समाज की स्थापना में भी कार्य किया।
हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल की सामाजिक परिस्थितियों में शिक्षा का महत्व
सामाजिक बदलाव की बात हो , तो शिक्षा का नाम सबसे पहले लिया जाना चहिए, शिक्षा का जिक्र न हो तो यह गलत बात होगी। हिन्दी साहित्य के नवीन युग में शिक्षा ने एक अहम भूमिका निभाई है। लोगो ने शिक्षा प्राप्त की। अंग्रेजो के कारण भारत में अंग्रेजी शिक्षा का प्रभाव हुआ। अंग्रेजी शिक्षा से लोगो को एक नई चेतना मिली, जिससे वे खुद ब खुद समाज सुधार की ओर बढ़े।
इस युग में कई महापुरुषों का भी समाज में गहरा प्रभाव पड़ा। मुख्यत गांधी जी, घोष जी, राममोहन राय, सुभाष चन्द्र बोस आदि। इन सब ने लोगों को जातिगत रूढ़ियों से निकलने के लिए प्रेरित किया।
गांधी जी ने तो उस समय बहुत से आंदोलन किए, जिससे लोग एक दूसरे से जुड़ने लगे थे।
स्वतंत्रता प्राप्ति आधुनिक हिन्दी साहित्य काल के सामाजिक परिस्थितियों में एक अहम बिंदु है। स्वतंत्रता के बाद भारत में एक धर्म निरपेक्ष राज्य की स्थापना हुई जो अब तक कायम है।
ये आधुनिककालीन हिन्दी साहित्य की सामाजिक परिस्थितिया रही है।
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