Dr. नरेश मेहता जीवन परिचय। नरेश मेहता की रचनाएं, साहित्यिक विशेषताएं।
जीवन परिचय -
नरेश मेहता का जन्म 15 फरवरी 1922 को मालवा के शाजापुर गांव में हुआ। इनके पिता बिहारी लाल शुक्ल ब्राह्मण परिवार से थे । नरेश जी को मेहता की पदवी इनके पूर्वजों से मिली थी । अढ़ाई वर्ष की आयु में ही इनकी माता जी का देहांत हो गया था। पश्चात इनके चाचा जी शंकर लाल शुक्ल ने इनका पालन पोषण किया।
श्री नरेश मेहता जी ने इंटर की परीक्षा उज्जैन से उत्तीर्ण की। इन्होंने अपने उच्च शिक्षा बनारस के हिंदू विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण की। स्वतंत्रता संग्राम में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में ये एक प्रमुख नेता थे। इन्होंने अपनी शिक्षा पूरी होने के बाद आकाशवाणी लखनऊ में कार्य किया। सन 1953 में इन्होंने आकाशवाणी छोड़कर पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना कदम रखा । 22 नवंबर सन 2000 मेहता जी का देहांत हो गया।
रचनाएं - नरेश मेहता बहुमुखी प्रतिभा वाले साहित्यकार थे। इन्होंने विविध विधाओं में रचनाएं लिखी है। इन्होंने गद्य , पद्य दोनो विधाओं में सफलतापूर्वक अपनी लेखनी चलाई । इनकी प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित हैं -
काव्य संग्रह - देखना एक दिन, तुम मेरा मौन हो, उत्सवा, वनपाखी सुनो, पिछले दिनों नंगे पैरों आदि।
खंडकाव्य - प्रवाद पर्व, संशय की रात, महाप्रस्थान आदि।
उपन्यास - धूमकेतु, नदी यशस्वी है, डूबते मस्तूल आदि।
नाटक - सुबह के घंटे, खंडित यात्राएं।
निबन्ध - काव्य का वैष्णव व्यक्तित्व, हम अनिकेतन आदि।
कहानी संग्रह - जलसाघर, तथापि, एक समर्पित महिला आदि।
सम्मान/ पुरस्कार - इन्हे 1988 में साहित्य अकादमी पुरस्कार , सन 1983 में सारस्वत पुरस्कार मिला। मध्यप्रदेश में राजकीय सम्मान, तथा सम्पूर्ण साहित्य पर 2 लाख का ज्ञानपीठ पुरस्कार भी इन्हे मिला।
कव्यगत विशेषताएँ -
नरेश मेहता ने समाज में चली आ रही एवं शाश्वत समस्याओं का उल्लेख गंभीरता पूर्वक किया है। नरेश मेहता यथार्थ से जुड़े व्यक्ति थे जिन्होंने अपनी रचनाओं में मानव के पुरुषार्थ का चित्रण किया है, मानव की भावना को स्थान दिया है। उन्होंने जनसाधारण में चली आ रही समस्याओं को विविध रूप में चित्रण किया है।
उन्होंने पौराणिक विषयों को आधार बनाकर आज की समस्याओं को उजागर किया है। रामायण महाभारत को आधार बनाकर उन्होंने कई प्रसंगों की रचना की है। प्रकृति के चित्रण में भी मेहता जी ने कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने प्रकृति में ही अपनी उदारता को उभारा है
भाषा शैली - नरेश मेहता के काव्य की भाषा सरस , सरल एवम् भावानुकूल है। उन्होने अपनी भाषा में तत्सम, तद्भव, उर्दू, फारसी तथा अंग्रेजी के शब्दो को भी स्थान दिया है। इनकी शब्द योजना अत्यंत सार्थक एवम् सफल रही है। उन्होंने नए प्रतीक, बिंब, शैली का प्रयोग कर अपने काव्य में सुंदर योजना की है। चित्रात्मकता उनकी भाषा शैली की प्रमुख विशेषता है।
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