सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जीवन परिचय। sarveshwar Dayal saxena ka jivan Parichay in Hindi।
जीवन परिचय
आधुनिक साहित्यकारों में सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का नाम सुप्रसिद्ध है। उनका जन्म उत्तर • प्रदेश के बस्ती जिले में सन् 1927 को हुआ। बस्ती के ऐंग्लो संस्कृत उच्च विद्यालय से उन्होंने दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। बाद में क्वोंस कालेज (बनारस) में अध्ययन किया। तत्पश्चात् इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। आजीविका के लिए उन्होंने आडिटर जनरल इलाहाबाद के कार्यालय में नौकरी शुरू की। कुछ समय तक उन्होंने अध्यापन का कार्य भी किया। बाद में वे आकाशवाणी के सहायक प्रोड्यूसर के पद पर नियुक्त हो गए। सन् 1965 में उन्होंने दिनमान पत्रिका के उप संपादक पद को संभाला। उन्होंने हो इस पत्रिका में चरचे और चरखे नाम से जो स्तम्भ शुरू किया जो कि काफी लोकप्रिय हुआ। बाद में उन्होंने बच्चों की पत्रिका 'पराग' का सम्पादन भी किया। सन् 1983 में इस महान साहित्यकार का निधन हो गया।
रचनाएँ -
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना एक बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न साहित्यकार थे। उन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, यात्रा-वृतान्त, निबन्ध आदि विधाओं में साहित्य रचना की। उनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं।
काव्य-'काठ की घंटियाँ बांस का पुल "एक खूनी नाला' गर्म हवाएँ', 'कुआनो नदी', 'जंगल का दर्द, खुटियों पर टंगे लोग।
साहित्यिक विशेषताएँ-
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना तीसरा सप्तक के प्रमुख कवि थे। खुटियों पर देंगे लोग नामक रचना पर साहित्य अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। उन्होंने बच्चों से लेकर प्रबुद्ध लोगों तक के लिए साहित्य लिखा। उन्होंने अपनी रचनाओं में तत्कालीन समाज की विसंगतियों तथा विषमताओं पर करारा व्यंग्य किया है। उनकी सभी रचनाएँ बड़ी सहज तथा हैं। 'नई 'कविता' की लगभग सभी विशेषताएँ उनकी काव्य रचनाओं में देखी जा सकती हैं। उल्लेखनीय बात तो यह है सक्सेना जी ने ग्रामीण जीवन तथा उससे जुड़ी परम्पराओं का बड़ा ही सुन्दर वर्णन किया है।
भाषा शैली-
सक्सेना जी ने सहज, सरल तथा साहित्यिक हिंदी भाषा का प्रयोग किया है। लेकिन कहीं-कहीं वे लोक भाषा का भी प्रयोग करते हैं। भाषा के बारे में दृष्टिकोण उदार रहा है। यही कारण है कि उन्होंने विषयानुसार अंग्रेजी तथा उर्दू भाषा का भी प्रयोग किया है। उनकी भाषा में संस्कृत के तत्सम्, तद्भव, देशज, अंग्रेजी तथा उर्दू के शब्दों का पर्याप्त मिश्रण देखा जा सकता है। वे प्राय: सहज और सरल भाषा के माध्यम से असाधारण बातें कह
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