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स्वयं प्रकाश का जीवन परिचय। Swayam Prakash jivan Parichay hindi.

स्वयं प्रकाश का जीवन परिचय। Swayam Prakash jivan Parichay hindi.

स्वयं प्रकाश का जीवन परिचय। Swayam Prakash jivan Parichay hindi.

Jivan Parichay 

 स्वयं प्रकाश हिन्दी के प्रसिद्ध कहानीकार व गद्यकार हैं। उनका जन्म सन् 1947 में मध्य प्रदेश के इंदौर नगर में हुआ। उन्होंने अपना बचपन राजस्थान में व्यतीत किया। आरंभिक अध्ययन पूरा करके मैकेनिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा पूरी की और एक औद्योगिक प्रतिष्ठान में नौकरी करने लगे। उनके जीवन का अधिकांश समय राजस्थान में व्यतीत हुआ। कालांतर में अपनी इच्छा से सेवानिवृत्त होकर वे भोपाल चले आए। जीवन के अंतिम दिनों में वे यहीं पर जीवन यापन कर रहे थे,और 'वसुधा' नामक पत्रिका - का संपादन कर रहे थे।। 'पहल सम्मान' बनमाली पुरस्कार तथा राजस्थान अकादमी पुरस्कार से उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है। दिसंबर 2019 में इनका देहांत हो गया।


रचनाएँ- 

स्वयं प्रकाश हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार हैं। उनके 13 कहानी संग्रह तथा पाँच उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। इनमें उल्लेखनीय रचनाएँ हैं-


 कहानी संग्रह 'सूरज कब निकलेगा', 'आएंगे अच्छे दिन भी', 'आदमी जात का आदमी' और 'संधान' उल्लेखनीय हैं। 


प्रमुख उपन्यास -बीच में विनय, ईंधना


साहित्यिक विशेषताएँ-

 स्वयं प्रकाश सामाजिक जीवन के कुशल चितेरे माने जाते हैं। उन्होंने अपनी कहानियों तथा उपन्यासों में वर्ग शोषण की समस्या को उठाया है। वे शोषकों तथा पूंजीपत्तियों के अत्याचारों का वर्णन करते हुए सर्वहारा वर्ग के प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट करते हैं। अपनी कुछ कहानियों में स्वयं प्रकाश कसबाई बोध का बड़ा ही सजीव वर्णन करते हैं। उन्होंने जातीय भेदभाव का विरोध करते हुए कहानियाँ लिखी हैं। देशभक्ति की नारेबाजी के स्थान पर वे सामान्य मानव के आचरण में वे देश प्रेम को देखना चाहते हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं में सामाजिक, पारिवारिक, आर्थिक तथा राजनैतिक समस्याओं को भी उठाया है।


भाषा-शैली-

स्वयं प्रकाश की भाषा सहज, सरल तथा साहित्यिक हिन्दी भाषा है इसे लोक प्रचलित खड़ी बोली भी कहा जा सकता है क्योंकि उन्होंने संस्कृत के तत्सम तद्भव, देशज, उर्दू, फारसी तथा अंग्रेजी के शब्दों का अत्यधिक प्रयोग किया है। उनका वाक्य विन्यास बड़ा ही स्वाभाविक व प्रभावशाली बन पड़ा है। वे अकसर छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करते हैं और वह यंत्र, तंत्र, हास्य और व्यंग्य का छटा उत्पन्न करते चलते हैं। कुल मिलाकर उनकी भाषा सहज, सरल व भाषानुकूल कही जा सकती है।

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